ये प्रश्न इनके पापों का औचित्य बताने वाली श्रीमती अरुंधती राय और उन जैसे लोगो से भी पूछे जा रहे हैं जो सर्वहारा के इन सबसे बड़े और खतरनाक ऐतिहासिक दुश्मनों के भय से इनका बौद्धिक समर्थन करते हैं --
१.क्या १९४९ मे चीनी सेना के सहयोग से हुई माओवादी सशस्त्र क्रान्ति के बाद , दुनिया के किसी बड़े देश मे सशस्त्र क्रान्ति हुई है ?? यदि नहीं तो फिर यह असंभव स्वप्न दिखाकर सर्वहारा का बौद्धिक शोषण क्यों??
२.क्या आज के प्रबल वैज्ञानिक युग मे विश्व के राष्ट्रों के पास जो शस्त्र ( परमाणु बम जैसे महाविनाशकारी शस्त्र ) उपलब्ध है वैसे शस्त्र इन कथित माओवादियों के पास कभी भी हो सकते हैं ??
३.यदि नहीं तो क्या इस युग मे सशस्त्र क्रान्ति का स्वप्न दिखाकर युवाओं को एक मिथ्या और कभी न घटित हो सकने वाले सिद्धांत का अनुयायी बनाकर उनकी नियति के रूप मे उनका विनाश लिख देना मार्क्सवाद, लेनिनवाद , माओवाद, की ह्त्या नहीं है ??
४.जिस क्षेत्र मे नक्सलवादी अपनी ताकत के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे है क्या उस क्षेत्र मे वे सर्वहारा के लिए चलाई जा रही विकास योजनाओं से ३०% या उससे भी अधिक लेवी नहीं ले रहे ?? यदि ले रहे तो क्या यह उसी सर्वहारा का शोषण और उनका मांस भक्षण नहीं जिस सर्वहारा की मुक्ति की बात वे सशस्त्र क्रान्ति के द्वारा करने का झूठा वादा और दावा कर रहे.??
ये प्रश्न और इनके उत्तर के रूप मे प्रश्नित-समूह का शाश्वत मौन यह बताता है कि इस देश मे मानसिक रूप से असंतुलित और विकृत लोगो का एक ताकतवर समूह इक्कीसवीं शताब्दी को समय-पूर्व ही पीछे छोड़ देने की ताकत रखने वाले भारत को, उस प्रस्तरयुगीन कालखंड मे ले जाना चाहता है जब जंगल का क़ानून मानवता के बौद्धिक सौन्दर्य को विकसित ही नहीं होने दे रहा था..
हमारे देश की संवैधानिक-व्यवस्था, जिन एजेंसियों के माध्यम से देश के समस्त नागरिको को आर्थिक न्याय दिलाना चाहती है वह भ्रष्ट हो चुकी है - यह सत्य है ..
यह सत्य है कि जिस पूर्व मध्यप्रदेश के दंतेवाडा मे इन पाखंडियो ने नरसंहार किया है उसी प्रदेश के एक आई ए एस अधिकारी और उसकी अधिकारी पत्नी के पास से कुछ ही दिन पूर्व आम जनता से लूटे हुए करोडो रुपये बरामद किये गए ..
यह सत्य है कि पूरे देश मे सरकारी अधिकारी जनता के पैसो की लूट के आरोपित हो रहे हैं ..
तो क्या इसका समाधान वही है जो दंतेवाडा मे या और जगहों पर इस अपराधी गिरोह द्वारा किया जा रहा है ..और क्या गारंटी है कि इन पाखंडियो के शाशन मे इनके अधिकारी भ्रष्टाचार नहीं करेगे ..
क्या अरुंधती राय या अन्य कोई भी माओवादी नेता यह बतायेगे कि नक्सलवादियो ने पिछले पांच वर्षों मे कितनी लेवी वसूली और उसका खर्च कैसे किया ??
क्या ये लोग अपने प्रभाव क्षेत्र के लोगो को अपनी आडिट रिपोर्ट देते हैं ? यदि ऐसा नहीं है तो ये लोग उन जंगली आदमखोर जानवरों से भी खतरनाक है जो अपने ही समूह के सदस्यों का मांस खाकर तृप्त होते है क्योकि ये मानवभक्षण का पाप जान बूझ कर कर रहे हैं .
यदि क्रान्ति करना है तो इस देश के नौजवानों को संगठित और शिक्षित करके उन्हें आई ए एस , आई पी एस जैसे महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर बैठकर ईमानदारी से आम जनता की सेवा करने का प्रशिक्षण दो ..
इन ताकतवर सेवाओं मे रह कर रिश्वत न लेकर दिखाओ तब क्रान्ति जैसे पवित्र शब्द का उच्चारण करो ..
मैंने पलामू, चतरा , गया जैसे नक्सलवाद प्रभावित जिलों के एस पी और डी आई जी के रूप मे इन पाखंडी माओवादियों के मिथ्याचार का पर्दाफ़ाश किया था और अब भी कर रहा हूँ.. मैंने पैम्फलेट प्रकाशित कराकर इन्हें बौद्धिक और व्यवहारिक स्तर पर कमज़ोर, पाखंडी और मिथ्याचारी साबित किया था..वह पैफ्लेट आप भी देखें..
मानवीय सभ्यता के ऊपर नक्सलवाद से बड़ा खतरा कभी नहीं पैदा हुआ क्योकि यह अतीत के सभी खतरों से अधिक पाखण्ड पूर्ण है..
--- अरविंद पाण्डेय
28 comments:
सुन्दर जागरूकता फ़ैलाने वाला लेख लिखा है आपने, लेकिन यह भी एक सच्चाई है की जब तक सामाजिक असंतुलन बना रहेगा, इस तरह के संगठन लोगों को गुमराह करने में कामयाब होते रहेंगे |
बहुत ही सही सवाल उठाए हैं आपने... हमारे विश्वविद्यालय (डी०यू०)में आए दिन खुद को गरीबों का मसीहा कहने वाले लोग इन अपराधियों के कारनामों को सही ठहराने के लिये कुछ ऐसे ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने की कोशिश करते रहते हैं जिस से वैचारिक रूप से कमज़ोर लोग आसानी से भावनाओं के बहाव में इस पाखण्ड का समर्थन करने लग जाते हैं... जब ऐसे संस्थान के विद्यार्थी भी इन ढकोसलों में आ जाते हैं तो बड़ी हैरानी होती है...
ye khooni maowadio ne pure sansar me jitnai khooni holi kheli hai,utna sayad kisine nahi khela hoga......ye hamla bhartiya loktantra par seedhe roop se hamla hai......naxalwad aatankwad se jyada bharat ke liye khatarnak hai........un saheedo ki aatma ko bhagwan shanti pradan kare................
bahut sahi kaha sir aapne ,,
Arvind ji aaj agar mujhe ek din ke liye is desh ki baag dor de di jaaye to main keval ek kaam karoonga....corruption ke legal kar doonga ......is desh mein aam janata ko keval apne nihit swaarth hi dikhte hain, desh ka koi matlab raha nahi ab. aise mein itana lamba chauda samvidhaan aur arse se atake court cases, fir news channels ki ek si khabaren....aap yahan mauwaadi aur unse judi samasyaon ki baat kar rahe hain...aur kuch sawaal utha rahe hain...par ye sawaal hain kisase? kaun utaar dene ka saamarth rakhta hai aur yadi koi uttar hai bhi to usaka praroop kaisa ho ga? ek bayavah prashna ka ek bayavah uttar .... aur fir wahi kahani.
प्रश्न ये नहीं है कि ऐसी क्रान्ति आज के युग में सफल हो सकती है या नहीं प्रश्न ये है कि क्या ऐसी क्रान्ति का कोई औचित्य भी है? कोइ फायदा है?
और अगर कुछ देर के लिए ये मान भी लिया जाए कि ये क्रान्ति सही है तो भी मेरी समझ में ये नहीं आता के अर्धसैनिक बलों के जवानों (जिनका वेतन आधुनिक मध्यवर्ग के औसत वेतन से नीचे है और जिनकी इमानदारी पर भी शायद ही किसी को शुबहा हो)को मारकर, रेल पटरियां उड़ाकर, गरीबों का सामूहिक नरसंहार करके ये कौन सी लड़ाई जीतना चाहते हैं. जवानों का तो कोई दोष ही नहीं है. ये तो बस राज्य के कर्मचारी हैं जो अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. अगर आपको राज्य से लड़ना ही है तो आप उन नेताओं को निशाना बनाइये जो नीतियां निर्धारित करते हैं. वो तो सुरक्षित बैठे हैं. शिकार हो रहे हैं तो लाचार गरीब और बेक़सूर जवान.
प्रणाम,
बहुत ही सही सवाल उठाया हैं आपने, एक जागरूकता फैलाने वाली लेख..पर अब सवाल यह है की कैसे इन गुमराह हुए लोगो को जागरूक किया जाये ..? आप जैसे सोच वाले लोगो को आगे आने की जरूरत है ...!!!
sir,
bilkul sahi sawal uthaye hain apne...jinka in desh ke dushmanon ke paas koi jawab nahi hai.inko madad karne wale sare deshdrohi hain.yuwaon ko gumrah karne ke alawa inke paas koi or kaam na to hai or na kabhi rahega...
is samasya ko haal karne ke liye har kadam jayaj hai...
बहुत अच्छा, बहुत खूब जैसे जुमले लिख कर अपनी जिम्मेदारियों से बचा जा सकता है पर मूल प्रश्न है कि वह कौनसी ताकत है जो एक साथ इतने युवाओं के अपने माँ-बाप से नाता तोडकर क्रांति को अपनाने के लिए मजबूर करती है और ताकत मेरी राय में है अशिक्षा, गरीबी, अभाव और इसमें ईधन का काम करती है समाज का आज ढांचा जिसमें नेता, आम आदमी, पुलिस। चिनंगारी का काम करते है ऐसे संगठनो के नेता जो यह भरोसा दिलाते है कि हम न्याय दिलायेंगे और इनका नारा होता है अपने आप कुछ नहीं मिलता अधिकार छीनना पड़ता है।
THE TIME HAS COME TO THINK US THAT NAXALS ARE NOT OUR BROTHER RATHER THEY ARE DANGEROUS THAN MILITANT.IF SECURITY FORCES TAKES STRICT ACTION,OUR CORRUPT POLTICIAN RAISES VOICE FOR VIOLATION OF HUMAN RIGHTS.ARE SECURITY PERSONNEL NOT HUMAN BEIGN?THEY ARE NOT THE SON,FATHER,BROTHER & HUSBAND OF ANYONE.WHY FEW INTELLECTUAL PEOPLE ARE SUPPORTING THEM?WHERE WERE THOSE POLTICIAN WHEN CRPF PERSONNEL BRUTALY MASSACRED IN DANTEWARA?I DEEPLY CONDEMN THE COWARDICE ACT DONE BY NAXALITE IN DANTEWARA WHICH NOT LAID DOWN THE SECURITY FORCES,RATHER MADE THEM MORE STRONG TO FIGHT AGAINST NAXALISM.
अरविन्द जी प्रणाम आ जय भोजपुरी
नक्सलबाडी से शुरु हुआ यह पाखण्ड अब दिन प्रतिदिन बढता जा रहा है , और दिक्कत यह है कि कोई भी सरकारी अमला इसके लिये शई दिशा मे प्रयास नही कर रहा है ।
आपका यह प्रयास अतुलनीय है और हम उम्मीद करते है कि आप की यह पहल भटक रहे उन युवाओ के उपर सकारात्मक असर डालेगी जिससे वो लोग एक सभ्य समाज के तरफ रुख करेंगे और सभ्य समाज की रचना करेंगे ।
जय हिन्द जय भारत
"मानवीय सभ्यता के ऊपर नक्सलवाद से बड़ा खतरा कभी नहीं पैदा हुआ क्योकि यह अतीत के सभी खतरों से अधिक पाखण्ड पूर्ण है.." आपका लेख पढ़कर मन को छू गया.... आप ने बिलकुल सही बात समाज के सामने राखी है....और समाज को आईना दिखाया है....आपके जैसे visionary & thoughtful लोगों की हमारे समाज को सख्त ज़रुरत है. JAN SAHYOG FOUNDATION परिवार की ओर से बहुत बहुत धन्यवाद....!
हमारे बिहार का अतीत बहुत ही उज्जवल था....बिहार की ही धरती में नालंदा विशविद्दयालय था तथा पूरे विश्व से लोग शिक्षा प्राप्त करने आते थे....और उसी धरती के होनहार सोपूत भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद....जिनके बारे में लिखा गया था "Examinee is better than examiner". इन सभी बिहार के सपूतों ने बिहार का तथा पुरे भारत का सम्मान बढाया है....जैसे Aryabhatta, ChandraGupta Maurya, Asoka the great, Chanakya, Sher Shah Suri, Panini, Vatsyayana (Kamasutra), Ashvaghosha
Religion: Sita mata (Hinduism), Mahavira (Jainism), Gautam Buddha (Buddhism), Bhaktivedanta Narayana Goswami, Guru Gobind Singh ji (Sikhism), Shams-ul-haq Azeemabadi (Islamic scholar)
Poets/witters: Ramdhari Singh Dinkar, Jamil Mazhari, Khuda Bakhsh
Freedom Fighters/Politicians: Dr Rajendra Prasad,Moulana Mazharul Haque, Jayaprakash Narayan, Jagjivan Ram, Karpoori Thakur, Swami Sahajanand Saraswati, Yogendra Shukla, Anugrah Narayan Sinha, Baikuntha Shukla, Veer Kunwar Singh
Biharis are generally hard working making them do well in all fields from science and technology to administrative fields. No wonder Bihar sends a large contingency of IAS/IPS cadres to cater the administrative needs of vast India. Unfortunately many Biharis have left the state due to lack of opportunities and failures of the state government to prevent a brain drain.
SOLUTION:By education we can change our Bihar Establish more and more schools/technical/Non-technical/medical and other colleges with PPP(public private partnership)This will definitely attract the software/other companies development of Bihar as a whole and will able to stop brain drain.
जय बिहार...! जय हिंद...!
yeah you are right bhaiya i do agree with your statement and the questions you have raised...
god bless you...
आपका यह प्रयास अतुलनीय है और हम उम्मीद करते है कि आप की यह पहल भटक रहे उन युवाओ के उपर सकारात्मक असर डालेगी जिससे वो लोग एक सभ्य समाज के तरफ रुख करेंगे और सभ्य समाज की रचना करेंगे ।
Thanks Sir for arising such questions.I think these problems can be solved but it will take time. Naxals have killed many security personnels saying that they are fighting for poor people. All we know that CRPF,ITBP, BSF,SSB,STATE POLICE etc. are full of lower income group people no one is from Arundhati Rai's family or from any rich family.Media is also playing negative role in such movements. Media persons have right to ask Govt. and sec. personnels about their strategies against naxals and then publish it. But they never ask same things from NAXALS.
It will be better for all if you change "BIHAR BHAKTI ANDOLAN" by "BHARAT BHAKTI ANDOLAN" and once again publish these pumplets and distribute in all areas with the help of all youths.
"ALL WE ARE WITH YOU FOR OUR NATION." JAI HIND JAI BHARAT.
Respected Pandey sir ,there is a disease called Maoist disease in our country.The People like you when say something about the cure from that disease, it effects the core Indian heart, & creates a motivational factor to spread a peace environment in our country.
I will say only one state...
Either We should take them again into the social stream or remove the Maoist by taking appropriate action from our country.
Mr. Pandey,
Your objection seems to be correct but the arguments in the form of 'prashna' are highly superficial. The problem is not so simple as you are trying to straighten it out. You seem to have deeply entrenched status quoist social stereotypes. Scripture generated fantasies are hardly emollient of worldly hardships.
--Sudhir Singh
-----Sudhir
एक ज्वलंत मुद्दा उठाया है आपने | इसका कोई सरल
हल शायद निकले यदि आप जैसे लोग अपने लेखन से
जाग्रति फैलाएं |
आशा
बहुत उचित कहा आपने माओवादी आतंकवादियों के बारे में. ऐसा ही अलख जगाये रखिये.
मेरा प्रश्न माओवादियों से रहा है कि क्या द्ंतेवाड़ा में शहीद लोक सेवक (जवान) मजदूर एवं किसान के बेटे नहीं थे?
क्या वे पूँजिपतियों की विरादरी से आते थे?
This is an eye-opener in many senses to naive & crude people who get ready to lay down their lives on call of a handful of destructive minded people under the camouflage of maoist & leninism, in no time.Sir,i can remember vividly ur deeds as a DIG of magadh range and also ur new difinition of police.P-purusarthi,L-lipsarahit & S-sahyogi.
maowadi, leninwadi,naxalwadi ek dishahin longo ka samuh hai jo vikas ke dushaman hai. Dushamano se desh ki seemaon ki raksha karte huye jitane jawan shaheed nahi hote usase adhik desh ke bhitar apne hi deshwasiyo ke duara mare ja rahe hai.Desh ke vikas ke liye maowadi nahi Mahavir, Gautam, Vivekanand, Gandhi,Deendayal Lohiya aur Jaiprakash ke jeewan charitr ko apnao.
पांडेय जी जिन सवालों को आपने इन माओवादियों से पूछा है वही सवाल देश के नेताओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और सत्ता के लिए देश और जनता को भाड़ में झोंक देने वाले लोगों से भी पूछिए। राज्यसभा और लोकसभा में बैठे करोड़पति सांसद जिनमें से कई मंत्री भी है मगर क्या उनहें पता है कि जनता या उनहीं के बीच से पैदा हुए उनके रहनुमा भ्रष्ट सत्ता के खिलाफ हथियार क्यों उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। जनता सड़कों पर क्यों उतरती है ? पांडेय जी, हथियार के बल पर जनता का जब तक दमन होता रहेगा लोग बागी बनते रहेंगे। माओवादी भी पैदा होते रहें। यह सवाल सशस्त्र क्रांति को भले न हो मगर हक की लड़ाई का जरूर है। जनता के पैसे का हिसाब माओवादी तो क्या इस देश की सरकार भी नहीं दे पा रही है। अगर हिसाब होता तो देश में लोग भूखों नहीं मरते। मेरी इस दलील का यह मतलब नहीं कि मैं खूनखराबे को अच्छा मानता हूं। मगर यह जरूर पूछना चाहता हूं कि ऐसी नौबत ही क्यों आती है ? कौन जिम्मेदार है इस परिस्थिति के लिए ? सच क्या है यह आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।
aapki baato se purntah sahmat hoon!! pata nahi kab hamare desh ki nirih nagrik jagenge........aur sab kuchh sahi ho payega...!!
kabhi hamare blog pe aayen, agar samay spare kar payen to .....:) hame khushi hogi..
बहुत ही सही ...
achchha lekh............bahut sahi kaha aapne!
Sorry for my bad english. Thank you so much for your good post. Your post helped me in my college assignment, If you can provide me more details please email me.
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