बिहार के समृद्ध होने और सम्पूर्ण देश को सशक्त बनाने की अपार संभावनाएं हैं..किन्तु, पिछले ३० वर्षों से यहाँ पूंजी निवेश संभव नहीं हो पाया परिणाम स्वरुप यहाँ से अकुशल श्रमिकों के पलायन के साथ साथ कुशल श्रमिकों अन्य प्रतिभाशालियों का पलायन एक संस्कृति बन गई थी. किन्तु वर्ष २००० के बाद से बिहार का पुनर्जागरण एक अनिवार्य नियति सी बनकर दिखाई देने लगा जब ७ दिनों के लिए ही एक ऐसी सरकार बनी जिसके प्रमुख की ईमानदारी आम जनता की दृष्टि में असंदिग्ध थी..
वर्ष २००० से ही , बिहारी-स्वाभिमान और प्राचीन भारत की गौरवशाली परम्परा, उसकी अविजित सभ्यता-संस्कृति का उल्लेख करते हुए बिहार भक्ति आन्दोलन ने एक वैचारिक जन-जागरण प्रारम्भ किया..उसी क्रम में बिहार के औरंगाबाद जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार भक्ति आन्दोलन के प्रवर्तम अरविंद पाण्डेय के वक्तव्य का यह वीडिओ है जिसमे उन्होंने अपने वक्तव्य के अंत में स्पष्ट रूप से -- एक नया बिहार -- बनाने के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया..
----अरविंद पाण्डेय
1 comment:
परम आदरणीय सर , स्पष्टवादी के राजा तो आप हैं ही , अति सुंदर लगा ........जय हिंद !!!!!!
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