मुजफ्फरपुर। 'किताबें कुछ कहना चाहती हैं,किताबें आपके पास रहना चाहतीं हैं' शफदर हाशमी की इसी भावनाओं के साथ पचास हजार से अधिक किताबों का मेला शुक्रवार को खुदीराम बोस मैदान में सज गया। दस दिनों तक अक्षर और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में चलने वाले इस मेले की औपचारिक शुरुआत शुक्रवार को डीआईजी अरविन्द पांडेय ने दीप प्रज्जवलित कर की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पुस्तकें प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने में काफी सहायक सिद्ध होती है। इससे ज्ञान संवर्द्धन के साथ-साथ व्यक्ति अपने कार्यो के प्रति ऊर्जान्वित भी होता है। कस्बाई शहरों में पुस्तक मेला का महत्व और भी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि बच्चों में भी किताब पढ़ने और खरीदने का संस्कार डालने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट और वैश्वीकरण असर पुस्तकों पर भी दिख रहा है। लोगों का बौद्धिक विकास अवरुद्ध हो रहा है। राष्ट्रीय पुस्तक मेला समिति के सचिव चन्द्र भूषण ने कहा कि वे 'असली पाठक छोटे शहरों में ' की अवधारणा के साथ मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं। छोटे शहरों में बेहतर रिस्पांस मिल रहा है। उन्होंने कहा कि पढ़ने की प्रवृति बढ़ाने की जरूरत है। मंच संचालन कर रहे श्रीरंजन ने कहा कि उपहार में फूल और कीमती वस्तुओं की जगह किताब देने की प्रवृति विकसित की जानी चाहिए। मेला दोपहर बारह बजे से रात्रि के आठ बजे तक खुला रहेगा। इसमें पचास स्टॉल लगाये गये हैं। किताबों के साथ योग और भजन की सीडी तथा कैसेट भी उपलब्ध रहेंगे।
बिहार के स्वर्णिम अतीत को स्वर्णिम वर्तमान तथा स्वर्णिम भविष्य में रूपांतरित करने और बिहारी स्वाभिमान को जागृत करने के लक्ष्य के साथ अग्रसर सभी बिहारियों का प्रथम प्रयास
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