मुजफ्फरपुर। कुढ़नी के बहुचर्चित राजेश्वर सिंह उर्फ अवधेश सिंह हत्याकांड में तत्कालीन डीएसपी ने हत्या कांड के धारा (302) को बदल दिये जाने का मामला प्रकाश में आया है। जबकि तत्कालीन एसपी अजिताभ कुमार ने अपने पर्यवेक्षण में उसे सत्य करार दिया था। पिछले दिनों मुख्यालय डीएसपी शंकर झा ने हत्याकांड के अप्राथमिक अभियुक्त विधान पार्षद दिनेश सिंह के सुरक्षा गार्ड सुरेश प्रसाद सिंह पर आरोप सत्य कर, उसे मृत घोषित करने का आदेश दिया है। तिरहुत क्षेत्र के डीआईजी अरविन्द्र पाण्डेय ने अभियुक्त को मदद करने के मामले में मुख्यालय डीएसपी एवं धाराओं में हेरा फेरी के मामले में तत्कालीन डीएसपी रामाशीष राम से जवाब -तलब किया गया है। वहीं जेल में बंद मुखिया कुमोद कुमार सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार कुढ़नी थाना क्षेत्र के एक स्कूल में 22 फरवरी 04 को उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित की गयी थी। जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया। विरोध को दबाने के लिए जमकर गोलीबारी की गयी। जिसमें मुखिया कुमोद सिंह की गोली से मुखिया कुढ़नी थाना क्षेत्र के पड़ैया निवासी राजेश्वर सिंह उर्फ अवधेश मारा गया। इसके अलावा भुट्टा माझी,जगदीश सहनी भी मारे गये थे। पर गोलियां चलायी। जिससे उसकी मौत घटनास्थल पर हो गयी थी। घटनास्थल तत्कालीन एसपी ने घटनास्थल पर कांड का पर्यवेक्षण किया। एसपी के विशेष प्रतिवेदन 2 एवं 3 में कुमोद सिंह को दोषी पाया गया है। परंतु डीएसपी मुख्यालय ने जेल में बंद कुमोद सिंह से मोटी रकम लेकर अन्तिम प्रगति प्रतिवेदन समर्पित कर दिया। यहीं नहीं एसपी के अपराध प्रशाखा को मिलाकर तत्कालीन एसपी रत्न संजय के स्थानांतरण के समय आनन -फानन में विशेष प्रतिवेदन 4 पर हस्ताक्षर कराया गया है। जिसमें अप्राथमिक अभियुक्त विधान पार्षद दिनेश सिंह के सुरक्षा गार्ड सुरेश प्रसाद सिंह को मृत एवं प्राथमिक अभियुक्त कुमोद सिंह के खिलाफ आरोप को असत्य समर्पित करने का आदेश अनुसंधानकर्ता को दिया गया है। उधर, तत्कालीन डीएसपी रामाशीष राम ने 14 जून 05 के पर्यवेक्षण टिप्पणी एवं प्रगति प्रतिवेदन समर्पित किया। जिसमें कांड के धारा 302, 307 को हटाकर 304, 308 भादवि मानकर अनुसंधान का निर्देश दिया गया। जिसमें दिनेश प्रसाद सिंह के अंगरक्षक ने गोली चलायी। आक्रोशित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था। डीआईजी ने स्वयं मामले की जांच की। जांच के क्रम वर्तमान एवं पूर्व डीएसपी को दोषी पाया गया है। डीएसपी से इस मामले में स्पष्टीकरण पूछा गया है। जेल में बंद अभियुक्त को बचाने के मामले में डीएसपी पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार कुढ़नी थाना क्षेत्र के एक स्कूल में 22 फरवरी 04 को उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित की गयी थी। जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया। विरोध को दबाने के लिए जमकर गोलीबारी की गयी। जिसमें मुखिया कुमोद सिंह की गोली से मुखिया कुढ़नी थाना क्षेत्र के पड़ैया निवासी राजेश्वर सिंह उर्फ अवधेश मारा गया। इसके अलावा भुट्टा माझी,जगदीश सहनी भी मारे गये थे। पर गोलियां चलायी। जिससे उसकी मौत घटनास्थल पर हो गयी थी। घटनास्थल तत्कालीन एसपी ने घटनास्थल पर कांड का पर्यवेक्षण किया। एसपी के विशेष प्रतिवेदन 2 एवं 3 में कुमोद सिंह को दोषी पाया गया है। परंतु डीएसपी मुख्यालय ने जेल में बंद कुमोद सिंह से मोटी रकम लेकर अन्तिम प्रगति प्रतिवेदन समर्पित कर दिया। यहीं नहीं एसपी के अपराध प्रशाखा को मिलाकर तत्कालीन एसपी रत्न संजय के स्थानांतरण के समय आनन -फानन में विशेष प्रतिवेदन 4 पर हस्ताक्षर कराया गया है। जिसमें अप्राथमिक अभियुक्त विधान पार्षद दिनेश सिंह के सुरक्षा गार्ड सुरेश प्रसाद सिंह को मृत एवं प्राथमिक अभियुक्त कुमोद सिंह के खिलाफ आरोप को असत्य समर्पित करने का आदेश अनुसंधानकर्ता को दिया गया है। उधर, तत्कालीन डीएसपी रामाशीष राम ने 14 जून 05 के पर्यवेक्षण टिप्पणी एवं प्रगति प्रतिवेदन समर्पित किया। जिसमें कांड के धारा 302, 307 को हटाकर 304, 308 भादवि मानकर अनुसंधान का निर्देश दिया गया। जिसमें दिनेश प्रसाद सिंह के अंगरक्षक ने गोली चलायी। आक्रोशित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ऐसा कदम उठाया गया था। डीआईजी ने स्वयं मामले की जांच की। जांच के क्रम वर्तमान एवं पूर्व डीएसपी को दोषी पाया गया है। डीएसपी से इस मामले में स्पष्टीकरण पूछा गया है। जेल में बंद अभियुक्त को बचाने के मामले में डीएसपी पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।