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आज(MONDAY 22 MARCH 2010) बिहार में 'बिहार दिवस' का शासकीय आयोजन भव्य रूप में किया गया..इस आयोजन का मुख्य सिद्धांत वाक्य था -- बिहारी-अस्मिता के साथ सारे बिहारी एकात्म-शक्ति के साथ आगे बढ़ें और राज्य को समृद्धि के शिखर की ओर ले जाने हेतु अपनी समस्त ऊर्जा का प्रयोग करें..
ज्ञातव्य है कि आज लगभग दस वर्ष पूर्व ' बिहार भक्ति आन्दोलन ' नामक एक सांस्कृतिक अभियान का प्रारम्भ किया गया था.जिसके माध्यम से बिहार के लोगो को बिहारी-स्वाभिमान के कारक तत्त्वों का परिचय कराया गया..
सत्य यह है कि बिहार में भौतिक विकास को अवरुद्ध करने वाली शक्तियां , बाहर और भीतर - दोनों जगह सक्रिय थीं ..बिहार के भीतर सक्रिय शक्ति 'विकास विरोधी राजनीतिक दर्शन' के सिद्धांत के आधार पर यह मानती थी कि भौतिक विकास अर्थात औद्योगीकरण और पूंजी-निवेश निर्वाचन-विजय की गारंटी नहीं है इसलिए राजनीति के लिए विकास करना आत्मघात है और इससे पराजय हो सकती है..यह राजनीतिक दर्शन पंद्रह वर्षों तक वर्चस्व-शाली रहा.
किन्तु पंद्रह वर्षों के बाद के परिणाम से यह साबित हो गया कि पंद्रह वर्षों के बीतने के पहले ही विकास करने बात करना और संकल्प लेना इस विजय के लिए आवश्यक था.विकास-विरोधी राजनीतिक दर्शन की पराजय हुई और विकास के महासंकल्प के साथ नौ करोड़ बिहारियों के स्वप्न को साकार करने की शपथ के साथ हम आगे बढे ..
बिहार भक्ति आन्दोलन ने यह विचार २००० में ही बिहारवासियों के सामने रखा था कि हमें अपनी तंद्रा को समाप्त करने और उत्साह का नवसंचार करने के लिए भारत के स्वर्णिम अतीत को वर्तमान में रूपांतरित करने की कला सीखनी होगी .हमने कहा कि हम जहां भी रहें , गर्व से कहें कि हम बिहारी हैं..
जब बिहार के बाहर बिहारियों पर अपमान करने के लक्ष्य से हमले हो रहें हो उस समय ये नारा देना कितना कठिन और अलोकप्रिय हो सकता था किन्तु इसकी परवाह किये बिना ही आन्दोलन ने अपना विचार-विस्तार-अभियान जारी रखा.वेबसाईट के माध्यम से , ब्लॉग के माध्यम से , हम, बिहारी स्वाभिमान को पुष्ट, प्रचारित और प्रवर्तित करने की बात करते रहे और आज आन्दोलन के द्वारा प्रज्वलित दीपशिखा दुनिया के करोडो लोगो तक अपना प्रकाशपूर्ण सन्देश लेकर पहुच चुकी है. आन्दोलन द्वारा वर्ष २०० में प्रकाशित पहली पर्णिका आप देखें
हमने बिहार्भक्ति गीतों की रचना की , उसे संगीतबद्ध किया , उसकी सी डी वर्ष २००२ में ही लोगो के सामने प्रस्तुत की ..
कैसेट का आवरण पृष्ठ देखें :
हमें प्रसन्नता है कि आज बिहार भक्ति आन्दोलन का बिहारी स्वाभिमान , बिहारी अस्मिता का नारा नौ करोड़ बिहारियों का नारा बन चुका है..
हम शीघ्र ही एक सशक्त , समृद्ध और सम्मानित बिहार का निर्माण करने जा रहे हैं..
अरविंद पाण्डेय
5 comments:
Thank you very much sir!
Your effort is amazing !!!!!
परम आदरणीय सर,
मेहनत तो एक ना एक दिन रंग लाती ही हैं ....... ' बिहार भक्ति आन्दोलन ' का कार्य महा सराहनीय है , हमको परम विश्वाश है कि आपका ' बिहार के विकास के महासंकल्प' प्रण जरूर ही पूरा होगा , विकास-विरोधी राजनीतिक अब उखर चुके है , लोगो में बहुत ही आशा जगी है , सब लोग के जबान पे सिर्फ विकाश ही मुद्दा है .....
आज मै एक लम्बी दुरी के सफ़र में निकला था , पटना से हाजीपुर , फिर महनार मार्ग से जिला - समस्तीपुर , अंतर्गत , मोहदिनगर ,मोरवा , मुश्रीघरारी ,ताजपुर , पातेपुर , उसके बाद महुआ होते हुए हाजीपुर के रास्ते लम्बी दुरी का था , मोहदिनगर के आगे एक मल्लाह जाति का मेला लगता है जहाँ सभी जगहों से लोग पूजा करने जाते है , क्योंकि वहां भगवान क़ि मंदिर भी हैं , रास्ता ख़राब ऐसा क़ि पुछिये मत , अभी तक वहां किसी क़ि नजर गयीं है , करीब 25 KM धुल गर्दा वाले में जाना परा , अभी तत्कालीन सरकार ने भी उस रास्ते को भगवान के भरोसे छोर दिया है , ग्रामीण सड़को कि भी स्थिति ख़राब है .... सबसे अच्छी बात यह है कि जितने भी उच्च मार्ग वाले सड़क है , वो एकदम चकाचक हो गया , जो कि पूर्व के 15 वर्षो तक बिलकुल ही ख़राब पड़ा हुआ था . मुख्य सड़क पर आते ही carcade कि SPEED 70 KMPH TO 100 KMPH हो जाती थी .
इस लिए यह कहना कि विकाश नहीं हुआ है , बिलकुल ही गलत होगा ,
'बिहार भक्ति आन्दोलन' के माध्यम से उन जगहों पर भी ध्यान देना होगा , जहाँ जाने से रूह कप उठता है ....
जय हिंद , जय बिहार
परम आदरणीय सर,
मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का अंत होने का समय आ गया हैं , नियति सबकुछ देख रही हैं ......जय हिंद , जय भारत
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